बच्चों का पालन-पोषण करें इस संस्कार और मर्यादा वाली परिपाटी हम भूल चुके है। आज हम अपने सभी संस्कारो को भूल चुके है। सिर्फ अंतिम संस्कार को छोड़कर। वह माता धन्य है जो गर्भादान से लेकर सभी सौलह संस्कार निभाती है। बच्चा जैसा देखता है वैसा ही उसको जल्दी सिखने की कोशिश करता है क्योंकि इस समय बच्चें का मस्तिष्क बिलकुल खाली होता है जिससे उसकी आस-पास की सभी वस्तुओं को समझने कम समय लगता है।
यह ऐसा समय होता है की आप अपने बच्चे को जैसा भी बनाना चाहते है उसे वैसा ही बना सकते है। आज के परिवेश में जब हम अपना सारा समय आधुनिकता में बिता रहे है तो बच्चे पर इसका असर पड़ेगा। और वह बचपन में ही आधुनिकता का शिकार हो सकता है। जैसे आज-कल 3-4 वर्ष के बच्चे मोबाइल फ़ोन को अच्छी तरह चलाने में सक्षम है। क्योंकि उनको वह समय से पहले पता लग गई जिसका बहुत बड़ी मात्रा में नुकशान या फायदा हो सकता है।
जितना संभव हो सके अपने बच्चो को टी.वी., मोबाइल फ़ोन, वीडियो गेम आदि से दूर रखें ।
गर्भवती महिलाएं अपने रहने वाले स्थान पर वीर महापुरुषों के चित्र लगाएं। जब भी ध्यान महापुरुषों की तरफ जाए तो उनके चरित्र का विचरण करें । और उन्ही जैसे वीर पुत्र/पुत्री की कामना करें ।
महापुरुषों के उपन्यास पढ़े व बालक जब समझने लगे तब उसमें भी स्वदेश प्रेम का जज्बा भरें।
कुश्ती, रेस, तीरंदाजी आदि खेलों में बच्चों का रुझान बनाएं। ताकि मिट्टी से बच्चों का लगाव बढ़े। और उनकी मानसिक और शारिरिक उन्नति हो। बच्चों को पालन-पोषण कैसे करें ?
3 वर्ष तक बच्चे को गायत्री मन्त्र व 8 वर्ष तक के बच्चे को संध्या कंठस्त हो जावे ऐसा प्रयास करें। और इसी समय बच्चे का यज्ञोपवित संस्कार करवाएं ।
बच्चों का पालन-पोषण करें
प्रथम 5 वर्ष तक बच्चे का लालन-पालन करे । 6-16 वर्ष तक बच्चो वैदिक शिक्षा देवे और छोटी-छोटी गलतियों पर ताड़न करें अर्थात पिटाई कर दें। 16 वर्ष पश्चात पुत्र/पुत्री के साथ मित्र जैसा व्यवहार करें। और किसी भी विषय पर मित्र के समान व्यवहार किया करें ।
नित्य प्रतिदिन हवन करें व बच्चों को भी शामिल करें।
किसी भी पौधे को हम जब तक अपने अनुसार ढाल सकते है। जब तक वह पौधा है। लेकिन जब पौधा पेड़ बन जाता है तब उसे मोड़ा नहीं जा सकता केवल तोड़ा ही जा सकता है। जैसा हम बीज बोते है वही बीज एक दिन पेड़ बनता है। और फिर वह भी बीज उत्पन्न करता है। इसी प्रकार बच्चों में भी जिस प्रकार के संस्कार हम अंकुरित करेंगे वैसा ही वह बड़ा होकर बनेगा इसलिए मातृशक्ति को जगाना होगा ताकि सभ्य समाज का निर्माण हो। अगर ऐसे संस्कार सभी माता-पिता अपने बच्चों को परोसने लगे तो यह देश एक बार फिर से विश्वगुरु आर्यावर्त्त कहला सकता है ।
क्रांतिकारियों को जन्म देने वाली मात्र शक्ति को बारम्बार नमन । बच्चों का पालन-पोषण करें